Psalms 95:7-11
7क्योंकि वह हमारे परमेश्वर हैंऔर हम उनके चराई की प्रजा हैं,
उनकी अपनी संरक्षित ▼
▼मूल भाषा में हाथ की
भेड़ें.यदि आज तुम उनका स्वर सुनते हो,
8“अपने हृदय कठोर न कर लेना. जैसे तुमने मेरिबाह ▼
▼अर्थ: झगड़ा, निर्ग 17:7 देखें
में किया था,जैसे तुमने उस समय बंजर भूमि में मस्साह ▼
▼अर्थ: परीक्षा, निर्ग 17:7 देखें
नामक स्थान पर किया था,9जहां तुम्हारे पूर्वजों ने मुझे परखा और मेरे धैर्य की परीक्षा ली थी;
जबकि वे उस सबके गवाह थे, जो मैंने उनके सामने किया था.
10उस पीढ़ी से मैं चालीस वर्ष उदास रहा;
मैंने कहा, ‘ये ऐसे लोग हैं जिनके हृदय फिसलते जाते हैं,
वे मेरे मार्ग समझ ही न सके हैं.’
11तब अपने क्रोध में मैंने शपथ ली,
‘मेरे विश्राम में उनका प्रवेश कभी न होगा.’ ”
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