Deuteronomy 13
आने देवतामन के अराधना करई
▼ 1यदि कोनो अगमजानी, या कोनो मनखे, जऊन ह सपना के दुवारा अगम के बात कहिथे, यदि अइसने मनखे तुम्हर बीच म आथे अऊ कोनो चिनहां या अद्भूत बात के घोसना करथे, 2अऊ यदि ओ चिनहां या अद्भूत काम सही म हो जाथे, अऊ ओ अगमजानी ह कहिथे, “आवव, हमन आने देवतामन के पाछू चलन” (ओ देवता, जेमन ला तुमन नइं जानव) “अऊ ओमन के अराधना करन,” 3त तुमन ओ अगमजानी या सपना देखइया के बात ला झन सुनहू; काबरकि यहोवा तुम्हर परमेसर ह ये पता लगाय बर परखत हे कि तुमन ओला अपन पूरा मन अऊ परान ले मया करथव कि नइं। 4येह यहोवा तुम्हर परमेसर ए, जेकर पाछू तुमन ला चलना जरूरी ए, अऊ जरूरी ए कि तुमन ओकर आदर करव। ओकर हुकूम के पालन करव अऊ ओकर बात ला मानव; ओकर सेवा करव अऊ ओला कसके थामे रहव। 5ओ अगमजानी या सपना देखइया मार डारे जावय, काबरकि ओह तुमन ला ओ यहोवा तुम्हर परमेसर के बिरूध म भड़काय हवय, जऊन ह तुमन ला मिसर देस ले बाहिर निकाल लानिस अऊ तुमन ला गुलामी के देस ले छोंड़ाईस। ओ अगमजानी या सपना देखइया ह तुमन ला ओ रसता ले हटाय के कोसिस करिस, जेमा चले के हुकूम यहोवा तुम्हर परमेसर ह तुमन ला देय हवय। येह जरूरी अय कि तुमन अपन बीच ले बुरई ला हटावव। 6यदि तुम्हर खुद के भाई, या तुम्हर बेटा या बेटी, या तुम्हर मयारू घरवाली, या तुम्हर नजदीकी संगवारी गुपत रूप म ये कहिके तुमन ला बहकाथे, “चलव, हमन आने देवतामन के अराधना करन” (ओ देवता जेला न तो तुमन जानथव अऊ न ही तुम्हर पुरखामन कभू जानिन, 7तुम्हर चारों कोति के मनखेमन के देवता, चाहे लकठा के होवंय या दूरिहा के, या ओमन देस के एक छोर ले लेके दूसर छोर म होवंय), 8ओमन के बात झन मानव या ओमन के बात ला झन सुनव। ओमन ऊपर दया झन देखावव। ओमन ला झन छोंड़व या ओमन के बचाव झन करव। 9जरूरी अय कि तुमन ओमन ला मार डारव। ओमन ला मारे म तुम्हर हांथ पहिले उठे, अऊ तब आने जम्मो मनखेमन के। 10पथरवाह करके ओमन ला मार डारव, काबरकि ओमन तुमन ला ओ यहोवा तुम्हर परमेसर ले अलग करे के कोसिस करे हवंय, जऊन ह तुमन ला मिसर देस ले, ओ गुलामी के देस ले बाहिर निकाल लानिस। 11तब जम्मो इसरायली ये बात ला सुनके डरहीं, अऊ तुम्हर बीच म फेर कोनो मनखे अइसने दुस्ट काम नइं करही। 12जऊन नगरमन ला यहोवा तुम्हर परमेसर ह तुमन ला रहे बर दे हवय, यदि ओमा के कोनो नगर के बारे म ये सुनव 13कि दुस्ट मनखेमन तुम्हर बीच म ले निकलके ओ नगर के मनखेमन ला ये कहिके भटका दे हवंय, “चलव, हमन आने देवतामन के अराधना करन” (ओ देवता, जेमन ला तुमन नइं जानव), 14तब जरूरी अय कि तुमन पुछताछ करव, जांचव अऊ ओकर पूरा खोजबीन करव। अऊ यदि ये बात सच निकले अऊ येह साबित हो जावय कि ये घिनौना काम तुम्हर बीच म करे गे हवय, 15त खचित तुमन ओ नगर म रहइया जम्मो झन ला तलवार ले मार डारव। तुमन ओला पूरा नास कर दव, उहां के मनखे अऊ पसु दूनों ला नास कर दव। 16तुमन ओ नगर के जम्मो लूटे गय सामान ला सार्वजनिक चऊक म इकट्ठा करव अऊ ओ नगर अऊ ओकर लूटे गय जम्मो सामान ला यहोवा तुम्हर परमेसर बर एक पूरा होम-बलिदान के रूप म जला दव। ओ नगर ह हमेसा बर खंडहर बने रहय अऊ ओला फेर कभू झन बनाय जावय, 17अऊ कोनो भी दंडित चीज तुम्हर हांथ म झन रहय। तब यहोवा ह अपन भयंकर कोरोध ला छोंड़के तुम्हर ऊपर दया देखाही, अऊ तुम्हर ऊपर किरपा करही। ओह तुम्हर संखिया ला बढ़ाही, जइसे कि ओह तुम्हर पुरखामन ले सपथ खाके वायदा करे रिहिस— 18काबरकि तुमन यहोवा तुम्हर परमेसर के बात ला ओकर ओ जम्मो हुकूम ला माने के दुवारा पूरा करथव, जेला मेंह आज तुमन ला देवत हंव अऊ अइसे करके तुमन परमेसर के नजर म सही काम करत हव।
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