Ecclesiastes 5
परमेसर बर माने गय मन्नत ला पूरा करव
▼ 1परमेसर के घर म जाय के बेरा अपन बरताव म सावधानी रखव। लकठा म जा अऊ सुन, येकर बदले कि ओ मुरूखमन सहीं बलिदान चघा, जऊन मन नइं जानंय कि ओमन का गलत करत हवंय। 2अपन कोनो बात कहे म जल्दबाजी झन कर,न ही अपन मन म परमेसर के आघू म
कोनो बात कहे म जल्दबाजी कर।
परमेसर ह स्वरग म हवय
अऊ तेंह धरती म हस,
एकरसेति तोर बात ह थोरकन होवय।
3बहुंत अकन काम म धियान देय के कारन सपना आथे,
अऊ बहुंत अकन बात कहे के कारन मुरूख ह पहिचाने जाथे।
4जब तेंह कोनो मन्नत मानथस, त ओला पूरा करे म देरी झन कर। काबरकि परमेसर ह मुरूख ले खुस नइं होवय, एकरसेति अपन मन्नत ला पूरा कर। 5मन्नत मानके ओला पूरा नइं करई ले जादा बने ये अय कि तें मन्नत ही नइं मान। 6अइसन बात झन कह, जऊन ह तोर पाप म पड़े के कारन होही। अऊ मंदिर के दूत ला ये झन कह, “मोर मन्नत मनई ह एक गलती रिहिस।” तोर कहे बात के कारन परमेसर ला काबर गुस्सा होना पड़य अऊ ओह तोर करे काम ला नास कर डारय? 7जादा सपना देखई अऊ बहुंत बात कहई ह बेकार अय। एकरसेति परमेसर के भय मान।
धन-संपत्ति बेकार ए
8कहूं तेंह ये देखथस कि कोनो छेत्र म गरीब ऊपर अतियाचार होवत हे, अऊ नियाय अऊ अधिकार नइं मिलत हे, त अइसन बात ऊपर हैरान झन होबे, काबरकि एक अधिकारी के ऊपर दूसर अधिकारी होथे अऊ ओ दूनों के ऊपर घलो अऊ बड़े अधिकारी होथें। 9जब भुइयां म जादा फसल होथे, त ओकर ले सब ला फायदा होथे, राजा ला खुद खेत ले फायदा होथे। 10जऊन ह रूपिया-पईसा ले मया करथे, ओकर करा कभू परयाप्त नइं रहय;जऊन ह धन ले मया करथे, ओला कभू अपन कमई ले संतोस नइं होवय।
येह घलो बेकार ए।
11जइसे चीज-वस्तुमन बढ़थें,
वइसे ही ओ चीजमन के उपयोग करनेवालामन के संखिया घलो बढ़थे।
अऊ मालिक ला ओमन ले का फायदा होथे
सिरिप ये कि ओह ओमन ला देखके संतोस होथे?
12मेहनत करइया ला बने नींद आथे,
चाहे ओह जादा खावय या कम,
पर जहां तक धनी के बात ए,
ओकर धन के बहुंतायत ह ओला सोये बर नइं देय।
13मेंह धरती म एक बहुंत खराप बात देखे हंव: मालिक ह अपन नुकसान बर धन इकट्ठा करिस,
14या धन ह कुछू बिपत्ति म खतम हो गीस,
अऊ जब ओकर लइकामन होईन
त उत्तराधिकार म लइकामन बर कुछू नइं बांचिस।
15हर एक ह अपन दाई के गरभ ले नंगरा आथे,
अऊ जइसे हर एक जन आथे, वइसे ओह चले जाथे।
ओह अपन हांथ म
अपन मेहनत के कुछू नइं ले जावय।
16येह घलो बहुंत खराप बात ए: जइसे एक मनखे ह आथे, वइसे ओह चले जाथे,
त ओला का फायदा होथे,
जबकि ओह बेकार म मेहनत करथे?
17ओह अपन पूरा जिनगी बहुंत निरासा, दुख
अऊ कोरोध के संग अंधियार म खाना खाथे।
18जऊन बने बात मेंह देखे हंव, ओह ये अय: धरती म परमेसर के दिये जिनगी के थोरकन दिन म, मनखे बर येह उचित अय कि ओह खावय, पीयय अऊ अपन कठोर मेहनत म संतुस्ट रहय—काबरकि येह ओकर भाग ए। 19येकर अलावा, जब परमेसर ह कोनो ला धन-संपत्ति अऊ अधिकार देथे, अऊ येमन के आनंद उठाय के योग्यता देथे, त ओह अपन भाग ला स्वीकार करय अऊ अपन मेहनत म खुस रहय—येह परमेसर के एक बरदान ए। 20ओह कभू-कभू ही अपन जिनगी के दिन ऊपर बिचार करथे, काबरकि परमेसर ह ओला ओकर मन के खुसी म लगाय रखथे।
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