‏ Mark 13:32-37

ओ दिन अऊ समय ह अनजान

(मत्ती 24:36‑44)

32“ओ दिन या समय के बारे म कोनो नइं जानंय; न तो स्वरग के दूत अऊ न ही बेटा, पर सिरिप ददा ह येला जानथे। 33सचेत अऊ सावधान रहव काबरकि तुमन नइं जानव कि ओ समय ह कब आही। 34येह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह परदेस जाथे अऊ जाय के पहिली अपन घर ला अपन सेवकमन के अधिकार म छोंड़के ओमन ला अपन-अपन काम बता देथे अऊ घर के चौकीदार ला सचेत रहे के हुकूम देथे।

35“एकरसेति सचेत रहव काबरकि तुमन नइं जानत हव कि घर के मालिक ह कब आ जाही, संझा बखत या आधा रथिया या कुकरा बासत या बड़े बिहनियां। 36अइसने झन होवय कि ओह अचानक आवय अऊ तुमन ला सुतत पावय। 37जऊन बात मेंह तुमन ला कहत हंव, ओहीच बात मेंह जम्मो झन ला कहत हंव—सचेत रहव।”

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