Psalms 34
दाऊद के एक भजन। जब ओह अबीमेलेक के आघू म पागल होय के नाटक करिस, जेकर से अबीमेलेक ह ओला भगा दीस, अऊ ओह उहां ले भाग गीस।
1मेंह हर समय यहोवा के परसंसा करहूं;ओकर परसंसा हमेसा मोर मुहूं ले होवत रहिही।
2मेंह यहोवा ऊपर घमंड करहूं;
दुखित-पीड़ित मनखेमन सुनंय अऊ आनंद मनांय।
3मोर संग यहोवा के महिमा करव;
आवव, हमन मिलके ओकर नांव के परसंसा करन।
4मेंह यहोवा ले पराथना करेंव; अऊ ओह मोला जबाब दीस;
ओह मोला मोर जम्मो डर ले मुक्त करिस।
5जऊन मन ओकर कोति देखथें, ओमन दीप्तिमान होथें;
ओमन कभू लज्जित नइं होवंय।
6ये दीन-हीन मनखे ह पुकारिस, अऊ यहोवा ह ओकर बात ला सुनिस;
ओह ओला ओकर जम्मो दुख-तकलीफ ले बचाईस।
7यहोवा के स्वरगदूत ह ओमन के चारों कोति डेरा डालथे, जऊन मन ओकर भय मानथें,
अऊ ओह ओमन ला छुड़ाथे।
8परखके देखव कि यहोवा ह बने अय;
धइन अय ओ मनखे, जऊन ह ओकर करा सरन लेथे।
9हे ओकर पबितर मनखेमन, तुमन यहोवा के भय मानव,
काबरकि जऊन मन ओकर भय मानथें, ओमन ला कुछू चीज के घटी नइं होवय।
10भले ही सिंह ह कमजोर हो सकथे अऊ भूखा रह सकथे,
पर जऊन मन यहोवा के खोज म रहिथें, ओमन ला कोनो बने चीज के घटी नइं होवय।
11हे मोर लइकामन, आवव, मोर बात ला सुनव;
मेंह तुमन ला यहोवा के भय मानना सिखोहूं।
12तुमन म ले जऊन ह भी जिनगी ले मया करथे
अऊ बहुंते बने दिनमन ला देखे के ईछा करथे,
13त ओह अपन जीभ ला खराप बात ले
अऊ अपन मुहूं ला लबारी बात ले दूरिहा रखय।
14बुरई ला छोंड़के भलई करव;
सांति के खोज म रहव अऊ ओकर पाछू लगे रहव।
15यहोवा के नजर ह धरमीमन ऊपर लगे रहिथे,
अऊ ओकर कान ह ओमन के गोहार के तरफ लगे रहिथे;
16पर यहोवा ह बुरई करइयामन के बिरोध करथे,
ताकि ओह ओमन के नांव ला धरती ले मिटा देवय।
17धरमीमन गोहारथें, अऊ यहोवा ह ओमन के सुनथे;
ओह ओमन ला ओमन के जम्मो समस्या ले बाहिर निकालथे।
18यहोवा ह टूटे मनवाला के लकठा म रहिथे
अऊ ओमन के उद्धार करथे, जऊन मन आतमा म बहुंत दुखी होथें।
19धरमी मनखे करा बहुंत समस्या हो सकथे,
पर यहोवा ह ओला ओकर जम्मो समस्या ले निकालथे;
20ओह ओकर जम्मो हाड़ामन के रकछा करथे,
ओमा के एको ठन घलो नइं टूटय।
21बुरई ही दुस्ट मनखे ला मार डालही;
धरमी जन के बईरीमन दोसी ठहिरहीं।
22यहोवा ह अपन सेवकमन ला बचाही;
अऊ जऊन ह ओकर करा सरन लेथे, ओह दोसी नइं ठहिरही।
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