Luke 18:18-30
एक धनी मनखे
(मत्ती 19:1‑30; मरकुस 10:17‑31)
18एक यहूदी अधिकारी ह यीसू ले पुछिस, “हे बने गुरू! परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी पाय बर मोला का करना पड़ही?” 19यीसू ह ओला कहिस, “तेंह मोला काबर बने कहत हवस? सिरिप परमेसर के छोंड़, अऊ कोनो बने नो हंय। 20तेंह हुकूममन ला त जानत हवस: ‘हतिया झन करव, छिनारी झन करव, चोरी झन करव, लबारी गवाही झन देवव, कोनो ला झन ठगव, अपन दाई-ददा के आदरमान करव।’ ▼” 21ओ मनखे ह कहिस, “ये जम्मो बात ला मेंह अपन लइकापन ले मानत आवत हंव।” 22ये सुनके यीसू ह ओला कहिस, “तोर म अभी घलो एक बात के कमी हवय। जऊन कुछू तोर करा हवय, ओ जम्मो ला बेचके गरीबमन ला देय दे; अऊ तोला स्वरग म धन मिलही। तब आ अऊ मोर पाछू हो ले।” 23ये बात ला सुनके ओह बहुंत उदास होईस, काबरकि ओह एक बहुंत धनवान मनखे रिहिस। 24यीसू ह ओला देखके कहिस, “धनवान मनखे के परमेसर के राज म जवई कतेक कठिन अय, 25वास्तव म, एक धनवान मनखे के परमेसर के राज म जाय के बनिस्पत सूजी के छेदा म ले ऊंट के निकल जवई सरल अय।” 26जऊन मन येला सुनत रिहिन, ओमन पुछिन, “त फेर कोन ह उद्धार पा सकथे?” 27यीसू ह जबाब दीस, “जऊन बात ह मनखे के दुवारा संभव नो हय, ओह परमेसर के दुवारा संभव अय।” 28तब पतरस ह ओला कहिस, “देख! हमन हमर जम्मो चीज ला छोंड़के तोर पाछू हो ले हवन।” 29यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहत हंव, जऊन ह परमेसर के राज के हित म, घर या घरवाली या भाई या दाई-ददा या लइकामन ला छोंड़ देय हवय, 30ओह इही जुग म कतको गुना अधिक पाही, अऊ अवइया जुग म सदाकाल के जिनगी घलो पाही।”
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