Mark 10:35-45
याकूब अऊ यूहन्ना के बिनती
(मत्ती 20:20‑28)
35तब जबदी के बेटा याकूब अऊ यूहन्ना ओकर करा आके कहिन, “हे गुरू, हमन चाहथन कि जऊन कुछू हमन तोर ले मांगबो, ओही ला तेंह हमर बर कर।” 36ओह पुछिस, “तुमन का चाहथव कि मेंह तुम्हर बर करंव?” 37ओमन कहिन, “तोर राज म जब तेंह सिंघासन म बईठबे, त हमर दूनों म के एक झन ला तोर जेवनी अऊ दूसर ला तोर डेरी कोति बईठन देबे।” 38तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन नइं जानत हव कि तुमन का मांगत हव? जऊन दुख के कटोरा म ले मेंह पीवइया हवंव, का तुमन ओला पी सकथव? या जऊन बतिसमा ला मेंह लेवइया हवंव, का तुमन ओ बतिसमा ला ले सकहू?” 39ओमन कहिन, “हमर ले ये हो सकथे।” तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “जऊन कटोरा म ले मेंह पीहूं, ओमा ले तुमन पीहू अऊ जऊन बतिसमा मेंह लूहूं, ओला तुमन लूहू, 40पर मोर जेवनी या डेरी कोति बईठाय के मोला अधिकार नइं ए। ये जगह ओमन के अय, जेमन बर येला तियार करे गे हवय।” 41जब आने दस चेलामन ये बात ला सुनिन, त ओमन याकूब अऊ यूहन्ना ऊपर गुस्सा करिन। 42एकरसेति यीसू ह ओमन ला एक संग अपन लकठा म बलाके कहिस, “जइसने कि तुमन जानथव, जऊन मन आनजातमन के हाकिम समझे जाथें, ओमन आनजातमन ऊपर परभूता करथें अऊ ओमन के बड़े अधिकारीमन ओमन ऊपर अधिकार जमाथें। 43तुमन के संग अइसने नइं होवय। पर जऊन ह तुमन म बड़े होय चाहथे, ओह तुम्हर सेवक बनय, 44अऊ जऊन ह सबले पहिली होय चाहथे, ओह जम्मो झन के गुलाम बनय। 45काबरकि मनखे के बेटा ह अपन सेवा करवाय बर नइं आईस, पर एकर खातिर आईस कि ओह आने मन के सेवा करय अऊ बहुंत झन के छुड़ौती बर अपन परान ला देवय।”
Copyright information for
HneSCA