Mark 14:55-64
55मुखिया पुरोहितमन अऊ धरम महासभा के जम्मो मनखेमन यीसू के बिरूध म गवाही खोजत रहंय, ताकि ओमन ओला मार डारंय, पर ओमन ला एको झन नइं मिलिन। 56बहुंते झन ओकर बिरूध लबारी गवाही दीन, पर ओमन के गोठ एक-दूसर के संग मेल नइं खाईस। 57तब कतको झन उठके ओकर बिरूध ये लबारी गवाही दीन, 58“हमन येला ये कहत सुने हवन कि येह मनखे के बनाय मंदिर ला गिरा दीही अऊ तीन दिन म दूसर बना दीही, जऊन ह मनखे के हांथ के बनाय नइं होवय।” 59तभो ले ओमन के गवाही मेल नइं खाईस। 60तब महा पुरोहित ह ओमन के आघू म ठाढ़ होके यीसू ले पुछिस, “ये मनखेमन तोर बिरूध जऊन गवाही देवत हवंय, का तेंह ओकर कोनो जबाब नइं देवस?” 61पर यीसू ह चुपेचाप रिहिस अऊ कुछू जबाब नइं दीस। महा पुरोहित ह ओला फेर पुछिस, “का तेंह महिमामय परमेसर के बेटा मसीह अस?” 62यीसू ह कहिस, “हां, मेंह अंव। अऊ तुमन मनखे के बेटा ला सर्वसक्तिमान परमेसर के जेवनी हांथ कोति बईठे अऊ अकास के बादरमन ऊपर आवत देखहू।” 63तब महा पुरोहित ह अपन कपड़ा ला चीरके कहिस, “हमन ला अऊ कोनो गवाह के जरूरत नइं ए? 64तुमन ये निन्दा ला सुने हवव। तुम्हर का बिचार हवय?” ओमन जम्मो ओला मिरतू-दंड के दोसी ठहिराईन।
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