Mark 2:1-12
यीसू ह लकवा के मारे मनखे ला चंगा करथे
(मत्ती 9:1‑8; लूका 5:17‑26)
1कुछू दिन के बाद, यीसू फेर कफरनहूम म आईस, अऊ ये समाचार ह जम्मो नगर म फईल गीस। 2ओ घर जिहां ओह ठहिरे रहय, उहां अतका झन झूम गीन कि अऊ एको झन बर ठऊर नइं रहय; इहां तक कि कपाट के बाहिर म घलो ठऊर नइं रिहिस। अऊ यीसू ह ओमन ला परमेसर के बचन सुनाईस। 3उहां, लकवा के मारे एक मनखे ला, चार झन उठाके लानिन। 4भीड़ के मारे ओमन यीसू के लकठा म नइं जा सकिन, एकर खातिर घर के छानी ला, जेकर तरी म यीसू रहय, उघार दीन, अऊ खटिया ला जेमा लकवा के मारे बिमरहा ह रहय, यीसू के आघू म उतार दीन। 5यीसू ह ओमन के बिसवास ला देखिस, त ओह लकवा के मारे मनखे ला कहिस, “बेटा! तोर पाप ह छेमा हो गे।” 6तब कानून के कुछू गुरू, जऊन मन उहां बईठे रिहिन, अपन मन म सोचे लगिन, 7“ये मनखे ह काबर अइसने कहत हवय। येह तो परमेसर के निन्दा करत हवय, काबरकि परमेसर के छोंड़ अऊ कोन ह पाप ला छेमा कर सकथे?” 8यीसू ह तुरते अपन आतमा म जान डारिस कि ओमन अपन मन म का गुनत रिहिन, अऊ ओह ओमन ला कहिस, “तुमन ये बात अपन मन म काबर सोचत हवव? 9सरल का ए? लकवा के मारे ला ये कहई कि तोर पाप ह छेमा हो गे या फेर ये कहई कि अपन खटिया ला उठा अऊ रेंग। 10मेंह तुमन ला देखाहूं कि मनखे के बेटा ला धरती म पाप छेमा करे के अधिकार हवय।” तब ओह लकवा के मारे ला कहिस, 11“उठ, अपन खटिया ला उठा अऊ घर जा।” 12ओह उठिस अऊ खटिया ला लेके जम्मो मनखे के देखत चले गीस। येला देखके जम्मो झन चकित हो गीन अऊ ये कहिके परमेसर के महिमा करिन कि हमन अइसने कभू नइं देखे रहेंन।
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