‏ Mark 3:20-30

यीसू अऊ बालजबूल

(मत्ती 12:22‑32; लूका 11:14‑23; 12:10)

20जब यीसू ह एक घर म आईस, त फेर अइसने भीड़ जूर गीस कि ओह अऊ ओकर चेलामन खाना तक नइं खा सकिन। 21जब ओकर परिवार के मन ये सुनिन, त ओला घर ले जाय बर आईन, काबरकि ओमन कहत रिहिन कि ओकर चित ह ठीक नइं ए।

22अऊ कानून के गुरू, जऊन मन यरूसलेम ले आय रिहिन, अइसने कहंय कि ओमा बालजबूल
परेत आतमामन के सरदार
हवय अऊ ओह परेत आतमामन के सरदार के मदद ले परेत आतमामन ला निकालत हवय।

23यीसू ह ओमन ला लकठा म बलाके पटंतर म कहिस, “सैतान ह सैतान ला कइसने निकाल सकथे? 24कहूं कोनो राज म फूट पड़ जावय, त ओ राज ह खुद बने नइं रह सकय। 25वइसनेच कहूं कोनो घर म फूट पड़ जावय, त ओ घर ह बने नइं रह सकय। 26कहूं सैतान ह अपनेच बिरोध म होके अपनेच म फूट डारही, त ओह कइसने बने रह सकथे? ओकर बिनास हो जाही। 27कोनो मनखे कोनो बलवान मनखे के घर म घुसरके ओकर घर संपत्ति ला लूट नइं सकय, जब तक कि ओह पहिली ओ बलवान मनखे ला नइं बांध लीही, तभे ओह ओकर घर ला लूट सकथे। 28मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि मनखेमन के जम्मो पाप अऊ निन्दा करई ह माफ करे जाही, 29पर जऊन ह पबितर आतमा के बिरोध म निन्दा करथे, ओला कभू माफ नइं करे जावय; ओह अनंत पाप के दोसी ठहिरही।”

30यीसू ह ये जम्मो बात एकर खातिर कहिस काबरकि ओमन ये कहत रिहिन कि ओमा असुध आतमा हवय।

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