‏ Mark 4:1-9

बीज बोवइया के पटंतर

(मत्ती 13:1‑9; लूका 8:4‑8)

1यीसू ह फेर झील के तीर म उपदेस करन लगिस अऊ उहां अइसने भीड़ जूर गीस कि ओह झील म एक ठन डोंगा ऊपर चघके बईठ गीस अऊ जम्मो मनखेमन झील के तीर म रहंय। 2ओह ओमन ला पटंतर म बहुंत अकन बात सिखोवन लगिस अऊ अपन उपदेस म कहिस: 3“सुनव, एक किसान ह बीज बोय बर निकलिस। 4जब ओह बोवत रिहिस, त कुछू बीजामन रसता के तीर म गिरिन अऊ चिरईमन आके ओला खा लीन। 5कुछू बीजामन पथर्री भुइयां म गिरिन, जिहां ओमन ला जादा माटी नइं मिलिस। ओ बीजामन जल्दी जाम गीन काबरकि उहां माटी ह गहिरा नइं रिहिस। 6पर जब सूरज निकलिस, त ओमन मुरझा गीन अऊ जरी नइं धरे रहय के कारन ओमन सूख गीन। 7कुछू बीजामन कंटिली झाड़ीमन के बीच म गिरिन अऊ ओ झाड़ीमन बढ़के ओमन ला दबा दीन, जेकर कारन ओमन म फर नइं धरिन। 8पर कुछू बीजामन बने भुइयां ऊपर गिरिन; ओमन जामिन अऊ बाढ़के जादा फर लानिन; कोनो तीस गुना, कोनो साठ गुना अऊ कोनो सौ गुना।”

9तब यीसू ह कहिस, “जेकर सुने के कान हवय, ओह सुन ले।”

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