‏ Mark 6:45-52

यीसू ह पानी ऊपर रेंगथे

(मत्ती 14:22‑33; यूहन्ना 6:15‑21)

45एकर बाद, यीसू ह तुरते अपन चेलामन ला डोंगा म चघाईस कि ओमन ओकर आघू बैतसैदा ला जावंय, जब तक ओह भीड़ के मनखेमन ला बिदा करय। 46ओमन ला बिदा करके ओह पहाड़ी ऊपर पराथना करे बर गीस।

47जब संझा होईस, त डोंगा ह झील के मांझा म रहय अऊ यीसू ह एके झन भांठा म रिहिस। 48ओह देखिस कि चेलामन डोंगा ला खेवत-खेवत थक गे रहंय, काबरकि हवा ह ओमन के उल्टा दिग म बहत रहय। झूलझूलहा, ओह झील ऊपर रेंगत चेलामन करा गीस, अऊ ओमन ले आघू निकले चाहत रिहिस। 49पर ओमन ओला जब झील ऊपर रेंगत देखिन, त ओमन ओला भूत समझिन, अऊ ओमन चिचियाय लगिन। 50काबरकि जम्मो चेलामन ओला देखके डरा गे रहंय।

यीसू ह तुरते ओमन ले गोठियाईस अऊ कहिस, “हिम्मत रखव, मेंह अंव, झन डरव।”
51तब ओह ओमन करा डोंगा म चढ़ गीस, अऊ हवा ह सांत हो गीस। ओमन अब्बड़ अचम्भो करन लगिन। 52काबरकि पांच रोटी अऊ दू ठन मछरी ले पांच हजार मनखेमन ला खवाय के बाद घलो, ओमन नइं समझे रिहिन कि यीसू ह कोन ए। ओमन के मन ह कठोर हो गे रहय।

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