‏ Mark 9:2-13

यीसू के रूपान्तरन

(मत्ती 17:1‑13; लूका 9:28‑36)

2छै दिन के बाद, यीसू ह पतरस, याकूब अऊ यूहन्ना ला एक ठन ऊंचहा पहाड़ ऊपर ले गीस। उहां ओमन के छोंड़ अऊ कोनो नइं रिहिस। तब ओमन के आघू म यीसू के रूप ह बदल गीस। 3ओकर ओनहा ह झक पंर्रा हो गे अऊ अइसने चमके लगिस कि संसार म कोनो अइसने उज्‍जर नइं कर सकय। 4अऊ उहां ओमन ला एलियाह अऊ मूसा दिखिन, जऊन मन यीसू के संग गोठियावत रहंय।
बहुंत पहिली एलियाह ह एक अगमजानी रिहिस अऊ मूसा ह यहूदीमन के एक खास अगुवा।

5तब पतरस ह यीसू ला कहिस, “हे गुरू! हमन के इहां रहई बने अय। एकरसेति हमन तीन ठन मंडप बनाथन—एक ठन तोर बर, एक मूसा बर अऊ एक एलियाह बर।” 6(ओह नइं जानत रहय कि का कहे जावय, काबरकि ओमन अब्बड़ डरा गे रहंय।)

7तब एक ठन बादर ओमन ला ढांप लीस अऊ ओ बादर म ले ये अवाज आईस, “येह मोर मयारू बेटा ए, एकर बात ला सुनव।”

8तब अचानक जब ओमन चारों कोति देखिन, त यीसू के छोंड़ अऊ कोनो ला अपन संग नइं देखिन।

9जब ओमन पहाड़ ले उतरत रिहिन, त यीसू ह ओमन ला हुकूम दीस कि जब तक मनखे के बेटा ह मरे म ले नइं जी उठय, तब तक जऊन कुछू तुमन देखे हवव, कोनो ला झन बतावव। 10ओमन ये बात ला अपन मन म रखिन अऊ ये बिचार करन लगिन कि “मरे म ले जी उठे” के का मतलब होथे?

11तब ओमन यीसू ले पुछिन, “कानून के गुरूमन काबर कहिथें कि पहिली एलियाह के अवई जरूरी अय।”

12यीसू ह ओमन ला ये जबाब दीस, “ये बात सही अय कि एलियाह पहिली आही, अऊ जम्मो चीज ला ठीक करही। पर मनखे के बेटा के बारे म ये काबर लिखे हवय कि ओह अब्बड़ दुख उठाही अऊ तुछ समझे जाही? 13पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि एलियाह ह आ चुके हवय अऊ जइसने कि ओकर बारे म लिखे हवय—ओमन जइसने चाहिन, वइसने ओकर संग बरताव करिन
इहां जब यीसू ह एलियाह के नांव लेथे, त ओकर मतलब यूहन्ना बतिसमा देवइया अय, जऊन ह एलियाह सहीं रिहिस। (मत्ती 11:13‑14; 17:10‑13)
।”

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