Matthew 15:1-9
सुध अऊ असुध
(मरकुस 7:1‑13)
1तब यरूसलेम सहर ले कुछू फरीसी अऊ कानून के गुरूमन यीसू करा आईन, 2अऊ ओकर ले पुछिन, “तोर चेलामन काबर पुरखामन के रीति-रिवाज ला नइं मानंय? खाना खाय के पहिली, ओमन अपन हांथ ला नइं धोवंय।” 3यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “अऊ तुमन अपन रीति-रिवाज के हित म परमेसर के हुकूम ला काबर नइं मानव? 4काबरकि परमेसर ह हुकूम दे हवय, ‘अपन दाई अऊ ददा के आदरमान करव, ▼ अऊ जऊन ह अपन दाई या ददा के बुरई करथे, ओह मार डारे जावय।’ ▼ 5पर तुमन कहिथव कि यदि कोनो अपन दाई या ददा ले कहय कि जऊन मदद तुमन ला मोर कोति ले हो सकत रिहिस, मेंह ओला परमेसर ला भेंट के रूप म चघा दे हवंव। 6तब ओला अपन ददा या दाई के आदरमान करे के जरूरत नइं अय। ये किसम ले तुमन अपन रीति-रिवाज के हित म परमेसर के बचन ला टार देथव। 7हे ढोंगी मनखेमन! यसायाह अगमजानी ह तुम्हर बारे म ये कहिके बिलकुल सही अगमबानी करे हवय: 8“ये मनखेमन अपन ओंठ ले मोर आदर करथें,पर ओमन के हिरदय ह मोर ले दूरिहा हवय,
9येमन बेकार म मोर अराधना करथें;
काबरकि येमन मनखे के बनाय नियममन ला सिखाथें।”
Copyright information for
HneSCA