‏ Matthew 20:20-28

एक दाई के बिनती

(मरकुस 10:35‑45)

20तब जबदी के बेटामन के दाई ह अपन बेटामन के संग यीसू करा आईस अऊ ओकर आघू म माड़ी टेकके कुछू मांगे लगिस।

21यीसू ह ओकर ले पुछिस, “तेंह का चाहथस?”

ओह कहिस, “तेंह हुकूम दे कि तोर राज म मोर ये दूनों बेटामन म ले एक झन तोर जेवनी कोति अऊ दूसर ह तोर डेरी कोति बईठे।”

22यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन नइं जानत हव कि तुमन का मांगत हव। जऊन कटोरा म ले मेंह पीवइया हवंव, का तुमन ओला पी सकथव?”

ओमन कहिन, “हमन पी सकथन।”

23यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन मोर कटोरा ले पी सकथव, पर कोनो ला मोर जेवनी या डेरी कोति बईठाय के मोला अधिकार नइं ए। ये जगह ओमन के अय, जेमन बर मोर ददा ह येला तियार करे हवय।”

24जब आने दस चेलामन ये बात ला सुनिन, त ओमन ओ दूनों भाई ऊपर गुस्सा करिन। 25यीसू ह ओमन ला एक संग अपन करा बलाईस अऊ कहिस, “तुमन जानथव कि आनजातमन के सासकमन ओमन ऊपर परभूता रखथंय अऊ ओमन के बड़े अधिकारीमन ओमन ऊपर अधिकार जताथंय। 26तुमन के संग अइसने नइं होवय। पर जऊन ह तुमन म बड़े होय चाहथे, ओह तुम्हर सेवक बनय, 27अऊ जऊन ह तुमन म पहिली होय चाहथे, ओह तुम्हर गुलाम बनय। 28जइसे कि मनखे के बेटा ह अपन सेवा करवाय बर नइं आईस, पर एकर खातिर आईस कि ओह आने मन के सेवा करय अऊ बहुंत झन के छुड़ौती बर अपन परान ला देवय।”

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