Matthew 21:33-46
दुस्ट किसानमन के पटंतर
(मरकुस 12:1‑12; लूका 20:9‑19)
33“एक अऊ पटंतर सुनव: एक जमींदार रिहिस, जऊन ह एक अंगूर के बारी लगाईस। ओह बारी के चारों खूंट बाड़ा बांधिस। ओह ओमा एक ठन रस के कुन्ड खनवाईस अऊ एक ठन मचान बनाईस। तब ओह ओ अंगूर के बारी ला कुछू किसानमन ला रेगहा म देके आने देस चल दीस। 34जब फर के समय ह आईस, त ओह अपन सेवकमन ला किसानमन करा पठोईस ताकि ओमन ओकर बांटा के फर ला लानंय। 35“पर किसानमन ओकर सेवकमन ला पकड़ लीन, अऊ ओमन कोनो ला मारिन-पीटिन, कोनो ला जान सहित मार डारिन अऊ काकरो ऊपर पथरा फेंकिन। 36तब जमींदार ह आने सेवकमन ला पठोईस, जऊन मन संखिया म पहिली ले जादा रिहिन; पर किसानमन ओमन के संग घलो वइसनेच करिन। 37आखिरी म, ओह ये सोचके अपन बेटा ला पठोईस कि ओमन मोर बेटा के आदर करहीं। 38“पर जब किसानमन जमींदार के बेटा ला देखिन, त एक-दूसर ला कहिन, ‘येह तो अंगूर के बारी के वारिस ए। आवव, हमन येला मार डालन अऊ एकर संपत्ति ला ले लेवन।’ 39ओमन ओला पकड़िन अऊ अंगूर के बारी के बाहिर फटिक दीन अऊ ओला मार डारिन। 40“एकरसेति जब अंगूर के बारी के मालिक ह आही, त ओह ओ किसानमन के संग का करही?” 41ओमन यीसू ला कहिन, “ओह ओ दुस्टमन ला पूरा नास कर दीही, अऊ अंगूर के बारी के रेगहा आने किसानमन ला दे दीही, जऊन मन समय म ओकर बांटा के फसल ओला दीहीं।” 42यीसू ह ओमन ला कहिस, “का तुमन पबितर बचन म कभू नइं पढ़ेव: “ ‘जऊन पथरा ला घर के बनइयामन बेकार समझे रिहिन,ओहीच ह कोना के मुख पथरा हो गीस।
येह परभू के दुवारा होईस,
अऊ येह हमर नजर म अद्भूत ए।’ ▼
43“एकरसेति मेंह तुमन ला कहत हंव कि परमेसर के राज ह तुम्हर ले लेय लिये जाही, अऊ ओ मनखेमन ला दिये जाही, जऊन मन परमेसर बर फर पईदा करहीं। 44जऊन ह ये पथरा ऊपर गिरही, ओह कुटा-कुटा हो जाही, पर जेकर ऊपर ये पथरा ह गिरही, ओह पीसा जाही।” 45यीसू के पटंतर ला सुनके मुखिया पुरोहित अऊ फरीसीमन समझ गीन कि ओह ओमन के बारे म गोठियावत हवय। 46ओमन ओला पकड़े के उपाय सोचत रिहिन, पर ओमन मनखेमन के भीड़ ले डरावत रिहिन, काबरकि मनखेमन यीसू ला एक अगमजानी मानत रिहिन।
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